Mahashivratri 2025: शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते हैं? यहां जानिए महाशिवरात्रि पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी


Shivratri Vrat Pooja Vidhi


panchakshari mantra


॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥यक्षस्वरूपाय जटाधराय,पिनाकहस्ताय सनातनाय ।दिव्याय देवाय दिगम्बराय,तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥


 

shukra pradosh vrat katha

सूत जी बोले- प्राचीन काल की बात है एक नगर में तीन मित्र रहते थे, तीनों में ही घनिष्ट मित्रता थी। उसमें एक राजा का बेटा, दूसरा ब्राह्मण पुत्र, तीसरा सेठ पुत्र था। राजकुमार व ब्राह्मण पुत्र का विवाह हो चुका था। सेठ पुत्र का विवाह के बाद गौना नहीं हुआ था। एक दिन तीनों मित्र आपस में स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण-पुत्र ने नारियों की प्रशंसा करते हुए कहा- "नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।" सेठ-पुत्र ने यह वचन सुनकर अपनी पत्नी लाने का तुरन्त निश्चय किया। सेठ-पुत्र अपने घर गया और अपने माता-पिता को अपना निश्चय बताया।उन्होंने बेटे से कहा कि शुक्र देवता डूबे हुए हैं। इन दिनों बहु-बेटियों को उनके घर से विदा कराकर लाना शुभ नहीं, अतः शुक्रोदय के याद तुम अपनी पत्नी को विदा करा लाना। सेठ पुत्र अपनी जिद से टस से मस नहीं हुआ और अपनी सुसराल जा पहुंचा। सास-ससुर को उसके इरादे का पता चला। उन्होंने उसको समझाने की कोशिश की किन्तु वह नहीं माना। अतः उन्हें विवश हो अपनी कन्या को विदा करना पड़ा। ससुराल से विदा होकर पति-पत्नी नगर से बाहर निकले ही थे कि उनकी बैलगाड़ी का पहिया टूट गया और एक बैल की टांग टूट गई। पत्नी को भी काफी चोट आई। सेठ-पुत्र ने आगे चलने का प्रयत्न जारी रखा तभी डाकुओं से भेंट हो गई और वे धन-धान्य लूटकर ले गए।

Sham ko shivling par jal chada sakte hain

शिवलिंग पर कभी भी शाम के समय जल अर्पित नहीं करना चाहिए। सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच जल अर्पित करना शुभ होता है। शिव जी का जलाभिषेक करें तो जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं।

mahadev ji ke aarti

॥ शिवजी की आरती ॥ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥ॐ जय शिव ओंकारा॥श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥ॐ जय शिव ओंकारा॥ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥ॐ जय शिव ओंकारा॥जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥ॐ जय शिव ओंकारा॥काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥ॐ जय शिव ओंकारा॥त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥ॐ जय शिव ओंकारा॥
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