महंगी होती स्कूल की किताबें: क्या सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी?

 

महंगी स्कूल किताबें और शिक्षा संकट

महंगी होती स्कूल की किताबें: क्या सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी?

आज के दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। खासकर प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने का सपना हर माता-पिता का होता है ताकि उनके बच्चे बेहतर भविष्य बना सकें। लेकिन क्या यह सपना पूरा हो पाना अब भी संभव है?

स्कूल की किताबों की बढ़ती कीमतें: आम आदमी के लिए मुश्किल

आजकल स्कूलों में किताबों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि मिडिल क्लास और प्राइवेट जॉब करने वाले माता-पिता के लिए इन्हें खरीद पाना बहुत मुश्किल हो गया है। कई प्राइवेट स्कूलों में 5वीं या 6वीं कक्षा की किताबों का खर्च 10,000 रुपये तक पहुंच गया है। यह एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है क्योंकि शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है, लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण यह एक विशेष वर्ग तक सीमित हो रही है।

सरकार की भूमिका: क्या NCERT किताबें वापस आ सकती हैं?

सरकार को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ हो। पहले NCERT की किताबें किफायती दामों पर उपलब्ध होती थीं, लेकिन अब निजी स्कूल अपनी पसंद की किताबें लगवा रहे हैं, जिनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। यदि सरकार फिर से NCERT किताबों को अनिवार्य कर दे या एक निश्चित मूल्य सीमा निर्धारित करे, तो माता-पिता को बहुत राहत मिलेगी।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और शिक्षा का व्यवसायीकरण

  • कई प्राइवेट स्कूल सिर्फ एक विशेष पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे माता-पिता के पास कोई विकल्प नहीं बचता।

  • किताबों के साथ महंगे स्टेशनरी आइटम भी अनिवार्य रूप से खरीदने पड़ते हैं।

  • कुछ स्कूल तो पुरानी किताबों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा देते हैं, जिससे हर साल नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं।

आम आदमी के लिए क्या उपाय हो सकते हैं?

  • NCERT की किताबों को दोबारा अनिवार्य किया जाए ताकि छात्र सस्ते और गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री पा सकें।

  • पब्लिक सेक्टर बुकस्टोर्स को अधिक संख्या में खोला जाए, जहां सरकार द्वारा नियंत्रित मूल्य पर किताबें उपलब्ध हों।

  • पुरानी किताबों को साझा करने और पुन: उपयोग करने की अनुमति दी जाए ताकि हर साल माता-पिता को नया खर्च न उठाना पड़े।

  • सरकार को निजी स्कूलों के लिए किताबों की अधिकतम कीमत तय करनी चाहिए ताकि शिक्षा व्यापार न बने।


निष्कर्ष

शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, लेकिन अगर स्कूल की किताबों की कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं, तो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना और भी कठिन हो जाएगा। सरकार को इस विषय पर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए और कोई ठोस नीति बनानी चाहिए जिससे कि सभी वर्गों के छात्र बिना आर्थिक बोझ के शिक्षा प्राप्त कर सकें।

अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे शेयर करें और आपको भी लगता है कि सरकार को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए? हमें कमेंट में बताएं और अपनी राय साझा करें! । ऐसी ही रोचक और जरूरी खबरों के लिए LearnWithGirish पर विजिट करें।


#EducationCrisis #ExpensiveBooks #NCERT #GovernmentEducation #PrivateSchools #EducationForAll #TrendingNews #ViralNews #SchoolBooksIssue #IndiaNews

The Learning Explorer

Welcome to KnowledgeNest, a space where curiosity meets learning. In today’s fast-paced world, continuous learning is key to staying ahead. At KnowledgeNest, we aim to provide you with practical insights, thought-provoking articles, and the latest trends to fuel your passion for knowledge. Whether you’re a professional looking to upskill, a student exploring new ideas, or someone simply eager to learn something new, this is the place for you. Join us on this exciting journey of exploration and growth, as we share resources, tips, and discussions that empower you to expand your horizons and achieve more

Post a Comment

Previous Post Next Post