गर्भवती महिला दो बार हॉस्पिटल गई। दोनों बार कहा गया कि अभी भर्ती नहीं करेंगे, घर जाइए। रात में महिला को लेबर पेन हुआ। पति को कुछ समझ ही नहीं आया। वह पत्नी को ठेले पर लेटाकर हॉस्पिटल की तरफ भागा।
जितनी तेज भाग सकता था वह भागा। ठेले पर ही डिलिवरी हो गई। जिस बच्चे को मां ने पेट में 9 महीने पाला वह बाहर निकला तो मरा था। अब वह मां बेसुध है। पति खुद को कोस रहा। सरकारी सिस्टम अभी जिम्मेदारी तय करने में लगा है।
ऐसे मामलों पर हम आप लोग क्या ही कर पाएंगे? बस खुद को पीड़ा से भर लेंगे। हमारी-आपकी यह पीड़ा छणिक है लेकिन उस मां-बाप के बारे में सोचिए जिसे जीवन भर का दुख मिला।
यह खबर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की है।