आज के दौर में शिक्षा हर बच्चे का मूल अधिकार है, लेकिन क्या हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रहे हैं? सरकारी स्कूलों की हालत खराब होने के कारण अधिकतर माता-पिता प्राइवेट स्कूलों की ओर रुख करते हैं, लेकिन वहाँ फीस, किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य खर्चे गरीब परिवारों के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ देते हैं।
1. बढ़ती स्कूल फीस – पढ़ाई मुश्किल हो रही है
प्राइवेट स्कूल हर साल फीस बढ़ा देते हैं, लेकिन माता-पिता की आमदनी नहीं बढ़ती। कई परिवारों के लिए महीने की फीस भरना भी मुश्किल हो जाता है। कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाना अब आम बात हो गई है।
2. किताबें और स्टेशनरी – हर साल नया खर्च
स्कूल हर साल नई किताबें और नोटबुक्स की लिस्ट देते हैं, पुरानी किताबें इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होती। क्या वाकई हर साल पाठ्यक्रम इतना बदल जाता है? यह सिर्फ पैसा बनाने का तरीका है, जिससे गरीब परिवारों पर बोझ बढ़ता है।
3. यूनिफॉर्म और एक्स्ट्रा एक्टिविटीज – जेब खाली कर देते हैं
कुछ स्कूल हर साल नए ड्रेस, टाई, बेल्ट, जूते और स्पोर्ट्स यूनिफॉर्म की डिमांड करते हैं। इसके अलावा, पिकनिक, एग्ज़िबिशन और अन्य एक्टिविटीज पर भी पैसे खर्च करने पड़ते हैं, जो गरीब परिवारों के लिए संभव नहीं होता।
4. कोचिंग और ट्यूशन – स्कूल के बाद का अतिरिक्त खर्च
स्कूल में पढ़ाई ठीक से न होने के कारण बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग लेनी पड़ती है, जो एक और आर्थिक बोझ बन जाता है।
क्या हो समाधान?
- सरकार को प्राइवेट स्कूलों पर सख्त नियम बनाने चाहिए, ताकि फीस और अन्य खर्चे नियंत्रित रहें।
- पुरानी किताबों को दोबारा इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- गरीब बच्चों के लिए स्कॉलरशिप और फ्री शिक्षा योजनाएँ बढ़ाई जानी चाहिए।
- माता-पिता को भी जागरूक होना चाहिए और अनावश्यक खर्चों से बचना चाहिए।
शिक्षा महंगी होने से कोई वंचित न रह जाए, यह सुनिश्चित करना सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर इस दिशा में कदम उठाने होंगे।
क्या आपके बच्चे के स्कूल में भी फीस और किताबों का बोझ बढ़ रहा है? 💬 कमेंट में बताएं और इस पोस्ट को शेयर करके आवाज़ उठाएं!"