आज यमुनानगर की धरती एक ऐतिहासिक और भावनाओं से भरा क्षण देख रही थी—जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कैथल निवासी श्री रामपाल कश्यप जी को अपने हाथों से जूते पहनाए।
रामपाल जी ने 14 वर्षों पूर्व एक संकल्प लिया था—जब तक नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं बनते और मैं उनसे मिल नहीं लेता, तब तक जूते नहीं पहनूंगा। आज उनका वह संकल्प पूर्ण हुआ।
यह दृश्य मात्र एक भावनात्मक मिलन नहीं था—यह सेवा, करुणा और जनभावनाओं के प्रति सम्मान का जीवंत प्रतीक था। यह उस नेतृत्व की गहराई को दर्शाता है जो सिर्फ शासन नहीं करता, बल्कि लोगों के दिलों में बसता है।
मोदी जी ने इस क्षण के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि सच्चा समर्पण वही है जो राष्ट्रहित और समाजसेवा में परिणत हो।
उनकी यही विशेषता उन्हें एक दूरदर्शी, संवेदनशील और कर्मयोगी जननायक बनाती है—जो हर नागरिक की भावना को समझते हैं, हर पीड़ा को महसूस करते हैं, और हर निर्णय में राष्ट्र प्रथम को जीते हैं।
ऐसा नेतृत्व ही वास्तव में "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास" के मंत्र को साकार करता है। ऐसे प्रेरणादायी और मानवीय नेतृत्व को कोटिशः नमन।